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"अंधा धर्म लिए फिरता है हाथों में बंदूक / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | धर्म बेचने वाले सारे | ||
+ | रहे ख़ुदी पर थूक | ||
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+ | इसके पैकेट में आया था | ||
+ | लुक-छिपकर बारूद | ||
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+ | इक दिन शल्य-चिकित्सा से जब | ||
+ | अंधा धर्म आँख पायेगा | ||
+ | हाथों पर मासूमों का ख़ूँ देखेगा | ||
+ | तो मर जाएगा | ||
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+ | देगी मिटा धर्मगुरुओं को | ||
+ | ख़ुद उनकी ही चूक | ||
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10:14, 21 जनवरी 2019 के समय का अवतरण
आतंकित हो
मानवता की कोयल भूली कूक
अंधा धर्म
लिए फिरता है
हाथों में बंदूक
नफ़रत के प्यालों में
जन्नत के सपनों की मदिरा देकर
कुछ मदहोशों से
मासूमों की निर्मम हत्या करवाकर
धर्म बेचने वाले सारे
रहे ख़ुदी पर थूक
रोटी छुपी दाल में जाकर
चावल दहशत का मारा है
सब्ज़ी काँप रही है थर थर
नमक बिचारा हत्यारा है
इसके पैकेट में आया था
लुक-छिपकर बारूद
इक दिन शल्य-चिकित्सा से जब
अंधा धर्म आँख पायेगा
हाथों पर मासूमों का ख़ूँ देखेगा
तो मर जाएगा
देगी मिटा धर्मगुरुओं को
ख़ुद उनकी ही चूक