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"अवकलन, समाकलन / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | तू ही नपी तुली मिली | ||
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+ | तुझे ही मैंने था पढ़ा | ||
+ | तेरे सहारे ही बढ़ा | ||
+ | हूँ आज भी वहीं खड़ा | ||
+ | जहाँ मुझे तू थी मिली | ||
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22:05, 21 जनवरी 2019 के समय का अवतरण
अवकलन, समाकलन
फलन हो या चलन-कलन
हर एक ही समीकरण
का हल मुझे तू ही मिली
घुली थी अम्ल, क्षार में
विलायकों के जार में
हर इक लवण के सार में
तू ही सदा घुली मिली
घनत्व के महत्व में
गुरुत्व के प्रभुत्व में
हर एक मूल तत्व में
तू ही सदा बसी मिली
थी ताप में थी भाप में
थी व्यास में थी चाप में
हो तौल या कि माप में
तू ही नपी तुली मिली
तुझे ही मैंने था पढ़ा
तेरे सहारे ही बढ़ा
हूँ आज भी वहीं खड़ा
जहाँ मुझे तू थी मिली