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00:16, 22 जनवरी 2019 के समय का अवतरण

उठाओ कलम बनाओ आकार
आँको मटमैला आकाश
बूढ़ा बरगद हरा पीला उदास

खिड़की से सिर्फ़ इतना दिखता है
आँको फिर जो सुनता है
गीतों की धुन बच्चों की उछलकूद
बढ़ई का आरा गाड़ियों की फूँक

जब सब बन जाए
फिर बनाना तस्वीर समय की
चोरी की डाकों की हत्या बलात्कारों की
मरते हुए सपने छिनते अधिकारों की
अभी मौक़ा है।