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01:07, 22 जनवरी 2019 के समय का अवतरण

अख़बार नहीं पढ़ा तो लगता है
कल प्रधानमंत्री ने हड़ताल की होगी

जीवन और मृत्यु के बारे में सोचते हैं जैसे हम
क्या प्रधानमंत्री को इस तरह सोचने की छूट है
क्या वह भी ढूँढ़ सकता है बरगद की छाँह
बच्चों की किलकारियाँ
एक औरत की छुअन

अगर सचमुच कल वह हड़ताल पर था
तो क्या किया उसने दिनभर
ढाबे में चल कर चाय कचौड़ी ली
या धक्कमधक्का करते हुए सामने की सीट पर बैठ
लेटेस्ट रीजीज़ हुई फ़िल्म देखी

वैसे उम्र ज़्यादा होने से सम्भव है कि ऐसा कुछ भी नहीं किया
घर पर ही बैठा होगा या सैर भी की हो तो कहीं बग़ीचे में
बहुत सम्भव है कि
उसने कविताएँ पढ़ी हों

कल दिन भर प्रधानमंत्री ने कविताएँ पढ़ी होंगी।

जब सचमुच थक जाता हूँ

मेरे आसमान में चाँद नहीं दिख रहा
बन्द कमरों में पढ़ते-पढ़ाते
एहसास अचानक आता
कोई नियम नहीं समझा सकता कि
मेरे आसमान में चाँद क्यों नहीं है

थकान और चाँद का सम्बन्ध है
अमावस में होती है या
पूरनमासी में अधिक
वैज्ञानिक मत होंगे थकान के बारे में

अव्वल तो थका हुआ आदमी
नहीं जानता कि चाँद आ ही जाए ग़लती से आसमान में
तो कैसे उसे थाम रखे
और मुन्ने को प्याली में दे न दे
उसे ज़रूर थाली में खीर खिलाए
थका हुआ आदमी धर आए चाँद को
नहीं बैठा सकता अपने पास

जब सचमुच थक जाता हूँ
ढूँढ़ता हूँ चाँद जो आसमान में नहीं होता
पर होता है आस-पास
मुहल्ले में या बाहर मटरगश्ती करता हुआ
गीत गाते कामगारों की शाम में झूमता हुआ।