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"नदी अब तुम्हारे लिए / अनुक्रमणिका / नहा कर नही लौटा है बुद्ध" के अवतरणों में अंतर
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मेरे आगे न आओ | मेरे आगे न आओ | ||
अब मेरी माँ बूढ़ी हो गई है | अब मेरी माँ बूढ़ी हो गई है | ||
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10:53, 22 जनवरी 2019 के समय का अवतरण
नदी अब तुम्हारे लिए कविता न लिखूँगा
तुम किनारे तोड़ कर आती हो तो
नदी नहीं रहती
तुम मेरे प्राण पर चाबुक की मार मारती हो
भागता हूँ तो तुम अन्तरिक्ष के
डरावने प्राणी की तरह लम्बी बाँहों से
घेर लेती हो मुझे
नदी तुम्हारे लिए कविता न लिखूँगा
मैं इन्तज़ार करूँगा
सौ साल कि तुम फिर धो जाओ मेरा बदन
और मैं लौटूँ कदम्ब के फूल इकट्ठे करता हुआ
कि तुम मुझे डराने मेरे साथ मेरे पीछे या
मेरे आगे न आओ
अब मेरी माँ बूढ़ी हो गई है
मैं किसका नाम लेकर चिल्लाऊँ