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11:15, 22 जनवरी 2019 के समय का अवतरण
वहाँ उसने मकानों की छतों पर छलाँग लगाकर जंगली फूलों तक
पहुँचना सिखाया।
वहाँ सोचते ही मैं जंगल फूल बन जाता हूँ
जंगली फूल को गमलों में नहीं बाँध सकते
दिल्ली में भी वह बेशर्म खुला खिलता है
दिल्ली में जंगली फूलों की सभा हो तो मैं डलहौज़ी क्यों जाऊँ