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12:00, 22 जनवरी 2019 के समय का अवतरण

यह जो पसीने की गन्ध
हवा में आई तेरी
ऐ देश! बता किसकी है
यह जो फरवरी ऊँची गेहूँ की फसल
तेरे खेतों में चमकती दिखी
इसके बीजों का इतिहास क्या है
वह जिस ज़मीं पर है वह किस की जान है
इस ज़मीं पर किसके हैं बहते आँसू
जो इस की नदियाँ हैं
यह जो पसीने की गन्ध
तेरी हवा में आई
ऐ देश! बता किसकी है

हज़ारों बरस दौड़ते जानवरों ने इस माटी से खेला
बता कि उनके सपने क्या थे
किस मौसम में ढूँढ़ते थे वे किन पागलों को
हमने देखा है पहाड़ों को जो तेरे हैं
हमने देखा है भूखों के जुलूसों को पहाड़ बनते
बता कि जब जब लोग बौखला उठे
मार-काट बोली में नाचे जब उनके हाथ पैर
उनका खू़न इस माटी इस पानी में बह कर कितनी दूर गया है
कितनी माँएँ हैं बिलखती तेरी साँसों में
किन बादलों में जमी है उनके बच्चों की महक

बता तेरी किस माटी किस आस्माँ किस हवा किस पानी को
करूँ सलाम!