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"गहरे नीले में / खीर / नहा कर नही लौटा है बुद्ध" के अवतरणों में अंतर

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12:27, 22 जनवरी 2019 के समय का अवतरण


गहरे नीले में थी वह जब उसने
मुझे कविताओं की किताब दी
दूर थी तो नीला शरत् का आकाश था
कविताएँ साझा करते हुए वह
आसमान मेरी ओर आ रही थी

पास उसकी मुस्कान नीले पर बिछ गई
वह मुस्कान मुझे कविताएँ दे रही थी।