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"गहरे नीले में / खीर / नहा कर नही लौटा है बुद्ध" के अवतरणों में अंतर
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गहरे नीले में थी वह जब उसने
मुझे कविताओं की किताब दी
दूर थी तो नीला शरत् का आकाश था
कविताएँ साझा करते हुए वह
आसमान मेरी ओर आ रही थी
पास उसकी मुस्कान नीले पर बिछ गई
वह मुस्कान मुझे कविताएँ दे रही थी।