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"छापा करती स्त्री / ये लहरें घेर लेती हैं / मधु शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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01:41, 24 जनवरी 2019 के समय का अवतरण

पत्ते की तरह छापे का
सिर लिए वह झुकी है
छापे पर

धूप उसकी देह तक
चली आई

छापे को उतारती वह कपड़े पर
कामना में उतरती है याद
देह में प्रेम

वह छापे से सिर नहीं उठाती।