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"पीठ / ये लहरें घेर लेती हैं / मधु शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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सिर झुकाए
वह रखता है अगला क़दम,
कम से कम उतनी जगह साफ़
निष्कंट हो जहाँ धरना है पाँव
दूर की चीज़ों के लिए
अवकाश नहीं अभी;
सबसे पास पड़ता है पेट
देह से लगा हुआ...