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"चीख़ / ये लहरें घेर लेती हैं / मधु शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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(1985 का एक कांस्य शिल्प)
चीख़ के साथ
उठे हैं हाथ
ऊपर और ऊपर बढ़ते कि
जा थामें आकाश
जो अभी
बस गिर ही रहा था उस पर।