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"सिर / ये लहरें घेर लेती हैं / मधु शर्मा" के अवतरणों में अंतर
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सुनने देखने
और महसूस करने से भरा है
सोचने को सारा कारोबार,
सिर का गट्ठर
यह इतना बोझ भरा
कि मैं उड़ नहीं सकता
पक्षी की तरह
निपट आकाश में।