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"मोहरे, शह और मात अलग थी / हस्तीमल 'हस्ती'" के अवतरणों में अंतर

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18:26, 25 जनवरी 2019 के समय का अवतरण

मोहरे, शह और मात अलग थी
बाज़ी मेरे हाथ अलग थी

दौलत खूब कमाई लेकिन
उस दर की सौग़ात अलग थी

सब थे उसके आगे-पीछे
लेकिन मेरी ज़ात अलग थी

मैंने जिसके सपने देखे
यारो वो बरसात अलग थी

वो भी अलग था कुछ अपने में
अपनी भी कुछ बात अलग थी