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"ये मुमकिन है कि मिल जाएँ तेरी खोई हुई चीज़ें / हस्तीमल 'हस्ती'" के अवतरणों में अंतर

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18:28, 25 जनवरी 2019 के समय का अवतरण

ये मुमकिन है कि मिल जाएँ तेरी खोई हुई चीज़ें
क़रीने से सजा कर रख ज़रा बिखरी हुई चीज़ें

कभी यूँ भी हुआ है हँसते-हँसते तोड़ दीं हमने
हमें मालूम था जुड़ती नहीं टूटी हुई चीज़ें

ज़माने के लिए जो हैं बड़ी नायाब और महँगी
हमारे दिल से सब की सब हैं वो उतरी हुई चीज़ें

दिखाती हैं हमें मजबूरियाँ ऐसे भी दिन अक्सर
उठानी पड़ती हैं फिर से हमें फेंकी हुई चीज़ें

किसी महफ़िल में जब इंसानियत का नाम आया है
हमें याद आ गईं बाज़ार में बिकती हुई चीज़ें