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"दिल में जो मुहब्बत की रौशनी नहीं होती / हस्तीमल 'हस्ती'" के अवतरणों में अंतर

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06:55, 26 जनवरी 2019 के समय का अवतरण

दिल में जो मुहब्बत की रौशनी नहीं होती
इतनी ख़ूबसूरत ये ज़िंदगी नहीं होती

दोस्त पे करम करना और हिसाब भी रखना
कारोबार होता है दोस्ती नहीं होती

ख़ुद चिराग़ बन के जल वक़्त के अँधेरे में
भीख के उजालों से रौशनी नहीं होती

शायरी है सरमाया ख़ुशनसीब लोगों का
बाँस की हर इक टहनी बाँसुरी नहीं होती

खेल ज़िंदगी के तुम खेलते रहो यारो
हार-जीत कोई भी आख़िरी नहीं होती