भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ख़ुशबुओं से चमन भरा जाए / हस्तीमल 'हस्ती'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हस्तीमल 'हस्ती' |संग्रह=प्यार का...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

06:57, 26 जनवरी 2019 के समय का अवतरण

ख़ुशबुओं से चमन भरा जाए
काम फूलों सा कुछ किया जाए

ग़म पे यूँ मुस्कुरा दिया जाए
वक़्त भी सोचता हुआ जाए

हर हथेली में ये लकीरें हैं
क्या किया जाए क्या किया जाए

फूल आगाह करते हैं हमको
फूलों में फूल सा रहा जाए

अब तो कपड़ों में भी दिखे नंगा
कैसे इंसान को ढँका जाए

सबकी चिंता है उसको मेरे सिवा
आज रब से ज़रा लड़ा जाए