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"जो इन्सान था पहले कभी / शहरयार" के अवतरणों में अंतर

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यख़बस्ता= ठंडी
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यख़बस्ता= ठंडी; सदा=पुकार,आवाज़

13:36, 31 जुलाई 2008 के समय का अवतरण

शहर सारा ख़ौफ़ में डूबा हुआ है सुबह से

रतजगों के वास्ते मशहूर एक दीवाना शख़्स

अनसुनी, अनदेखी ख़बरें लाना जिसका काम है

उसका कहना है कि कल की रात कोई दो बजे

तेज़ यख़बस्ता हवा के शोर में

इक अजब दिलदोज़, सहमी-सी सदा थी हर तरफ़

यह किसी बुत की थी जो इन्सान था पहले कभी।


शब्दार्थ :

यख़बस्ता= ठंडी; सदा=पुकार,आवाज़