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"जागने का लुत्फ़ / शहरयार" के अवतरणों में अंतर

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13:39, 31 जुलाई 2008 के समय का अवतरण

तेरे होठों पे मेरे होठ

हाथों के तराज़ू में

बदन को तोलना

और गुम्बदों में दूर तक बारूद की ख़ुशबू

बहुत दिन बाद मुझको जागने में लुत्फ़ आया है।