"21 पीढ़ी का बैर पुराणा, ठीक नहीं सै मांगण जाणा / ललित कुमार" के अवतरणों में अंतर
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ललित कुमार (हरियाणवी कवि) |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
|||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=ललित कुमार (हरियाणवी कवि) | |रचनाकार=ललित कुमार (हरियाणवी कवि) | ||
|अनुवादक= | |अनुवादक= | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=सन्दीप कौशिक |
}} | }} | ||
{{KKCatHaryanaviRachna}} | {{KKCatHaryanaviRachna}} |
12:18, 8 फ़रवरी 2019 के समय का अवतरण
21 पीढ़ी का बैर पुराणा, ठीक नहीं सै मांगण जाणा,
क्यों कर री सै धिंगताणा, तू सुशीला मेरे साथ मै || टेक ||
काया मै यो दुःख सै मोटा, भाग लिखा राख्या सै खोटा,
टोटा-नफा हो कर्म का फेरा, जोर जमाणा ठीक ना तेरा,
जावण तै घटै मान मेरा, आखिर ब्राह्मण जात मै ||
बिगड़ी मै ना मित्र-प्यारे, समय पै आँख बदलज्या सारे,
तारे गिण-गिण रात बिगड़ज्या, ब्राह्मण कुल की जात बिगड़ज्या,
यो जती-सती का साथ बिगड़ज्या, मत गेर पतंगा पात मै ||
मै बैठया सू भरया भ्रम, धन ल्यावण तै घटै धर्म,
कर्म नहीं सै यो मिश्रानी म्हारा, विपता मै ना चालै चारा,
वक्त पड़े पै सब करै किनारा, जब माया रहै ना हाथ मै ||
श्री चन्द्रनाथ की करकै सेवा, गुरु जगदीश पागे मेवा,
खेवा पार होवै ललित, सतगुरु जी के गाले गीत,
थारै कुल की चलती आवै रीत, ध्यान लगा दुर्गे मात मै ||