भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मात भवानी री, सबनै मानी शेरावाली री / राजेराम भारद्वाज" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेराम भारद्वाज |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=राजेराम भारद्वाज
 
|रचनाकार=राजेराम भारद्वाज
 
|अनुवादक=
 
|अनुवादक=
|संग्रह=
+
|संग्रह=सन्दीप कौशिक
 
}}
 
}}
 
{{KKCatHaryanaviRachna}}
 
{{KKCatHaryanaviRachna}}
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
 
                   (8)
 
                   (8)
  
काव्य विविधा & अनुक्रमांक-2  
+
काव्य विविधा (अनुक्रमांक-2)
  
मात भवानी री, सबनै मानी शेरावाली री ।। टेक ।।
+
'''मात भवानी री, सबनै मानी शेरावाली री ।। टेक ।।'''
  
 
शारदा-सावत्री हेमा, पार्वती माई री,
 
शारदा-सावत्री हेमा, पार्वती माई री,

12:33, 8 फ़रवरी 2019 के समय का अवतरण

                  (8)

काव्य विविधा (अनुक्रमांक-2)

मात भवानी री, सबनै मानी शेरावाली री ।। टेक ।।

शारदा-सावत्री हेमा, पार्वती माई री,
भुवनेश्वरी-नारायणी, भगवती माई री,
गंगा-जमना अम्बिका, सरस्वती माई री,
भक्तां की पार नैया, वैतरणी मै तारण आली,
भद्रकाली-चण्डी बणकै, दूष्टां को संहारण आली,
हाथ के म्हां भाला-वीणा, पुस्तक धारण आली,
हंस वाहिनी री, सबनै मानी शेरावाली री ।।

कमलनयनी-चंद्रमुखी, अष्टभुजा आली री,
जगदम्बे जगत की माता, गौरी गजा आली री,
दुर्गे देबी ज्वाला सै, माई धजा आली री,
पार्वती बणकै संग, भोले का निभाने आली,
ब्रह्मा की ब्रहमाणी बणकै, सृष्टि को रचाणे आली,
विष्णु जी की योगमाया, खेल के खिलाणे आली,
लक्ष्मी राणी री, सबनै मानी शेरावाली री ।।

महिषासुर से मारे गए, भवानी तै लेकै टक्कर,
राम की बणी थी सीया, रावण कै भरया था खप्पर,
महाभारत मै द्रोपदी बणी, कृष्ण का चाल्या था चक्र,
रूकमण सती बणकै, मति हड़ी शिशुपाल की,
गंधर्वा नै देणे आली, विद्या सुर-ताल की,
मंगल-करणी विपदा-हरणी, राजा और कंगाल की,
तेरी अमर कहाणी री, सबनै मानी शेरावाली री ।।

मानसिंह नै सुमरी देबी, धरणे तै सिखाये छंद,
लख्मीचंद नै सुमरी देबी, सांगी होये बेड़े बंद,
मांगेराम नै सुमरी देबी, काट दिये दुख के फंद,
शक्ति परमजोत, करूणा के धाम की,
बेद नै बड़ाई गाई, देबी तेरे नाम की,
राखदे सभा मै लाज, सेवक राजेराम की,
शुद्व बोलिये वाणी री, सबनै मानी शेरावाली री ।।