"टेम-टेम की बात, टेम कै गैल पुराणी हो सै / राजेराम भारद्वाज" के अवतरणों में अंतर
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सांग:– महात्मा बुद्ध (अनुक्रमांक– 10)
वार्ता:- सज्जनों! जब लड़का सिद्धार्थ 7 दिन का था तो राणी महामाया गुजर जाती है और रंग में भंग पड़ जाता है। यह लड़का मुढ़ लगन में हुआ था तो पंडितों ने यह बात राजा से नहीं बताई। फिर महाराणी के अचानक गुजरने से राजा के दिल पे गहरी ठेस पहुंची। राजा की उदासी देखके फिर ब्राहमण व मंत्री राजा को समझाने की कौशिश करते है और क्या कहते है।
जवाब:- ब्राह्मणों का।
टेम-टेम की बात टेम कै, गैल पुराणी हो सै,
टेम घड़ी ना टलै समो तै, आणी जाणी हो सै ।। टेक ।।
एक टेम हलवा पूरी, खीर मिलै खाणे नै,
एक टेम भूखा माणस, भटकै दाणे- दाणे नै,
एक टेम जा भूल गृहस्थी, घर कुणबे याणे नै,
दुनिया पागल कहण लागज्या, अकलमंद स्याणे नै,
भा-भोई बलवान जगत मै, दाणा-पाणी हो सै।।
एक टेम सेठ बादशाह, देश दुनी का राजा,
टेम बणादे कती भिखारी, टुकड़े का भी आझा,
एक टेम हो रूप जवानी, फेर बुढ़ापा थ्याजा,
स्याणे माणस कह्या करै, टेम-टेम का बाजा,
टेम कै सेती मरणा जीणा, लाभ और हाणी हो सै।।
60 हजार सघड़ के बेटे, टेम-टेम की माया,
टेम सध्या जब भागीरथ भी, गंगा जी नै लाया,
सुरग कै पैड़ी लावै था, रावण टेम हाथ नहीं आया,
राजतिलक कै टेम दिशोटा, राम नै मिल्या बताया,
लुटी गोपनी अर्जुन रोया, टेम कहाणी हो सै।।
घड़ी मुहुर्त टेम सधै, उपकार दिखावण खातर,
टेम बितज्या बात खड़ी रहै, मन समझावण खातर,
घड़ी-घड़ी का मोल जगत मै, खेल खिलावण खातर,
घड़ी साज नै घड़ी बणादी, टेम बतावण खातर,
राजेराम घड़ी की कीमत, बाल कमाणी हो सै।।