भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सर्दी लगे गाँठने चड्ढी / आजाद रामपुरी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आजाद रामपुरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
}} | }} | ||
{{KKCatBaalKavita}} | {{KKCatBaalKavita}} | ||
− | <poem>पढ़-लिखकर हो गई सयानी, | + | <poem> |
− | लिखने लगी मगन हो चिट्ठी! | + | पढ़-लिखकर हो गई सयानी, |
+ | लिखने लगी मगन हो चिट्ठी ! | ||
मौसम-टीचर ने वर्षा की, | मौसम-टीचर ने वर्षा की, | ||
− | ऋतुशाला से कर दी छुट्टी! | + | ऋतुशाला से कर दी छुट्टी ! |
मीठी किरणों की मुस्कानें, | मीठी किरणों की मुस्कानें, | ||
लेकर सर्दी मचल रही है। | लेकर सर्दी मचल रही है। | ||
घर-घर मेहमानी जाड़े की, | घर-घर मेहमानी जाड़े की, | ||
− | + | ठण्ड हिरन-सी उछल रही है । | |
गर्मी से जाड़े की चखचख, | गर्मी से जाड़े की चखचख, | ||
− | झगड़ा बढ़ा, हो गई छुट्टी! | + | झगड़ा बढ़ा, हो गई छुट्टी ! |
गरम पकौड़े रौब गाँठते, | गरम पकौड़े रौब गाँठते, | ||
− | हँसने लगे चाय के | + | हँसने लगे चाय के प्याले । |
− | + | कम्बल, पैण्ट, रजाई, मफ़लर, | |
− | शान दिखाए शाल- | + | शान दिखाए शाल-दुशाले । |
शोख चपल, अल्हड़ इठला कर, | शोख चपल, अल्हड़ इठला कर, | ||
− | सर्दी लगी गाँठने चड्ढी! | + | सर्दी लगी गाँठने चड्ढी ! |
</poem> | </poem> |
21:00, 17 फ़रवरी 2019 के समय का अवतरण
पढ़-लिखकर हो गई सयानी,
लिखने लगी मगन हो चिट्ठी !
मौसम-टीचर ने वर्षा की,
ऋतुशाला से कर दी छुट्टी !
मीठी किरणों की मुस्कानें,
लेकर सर्दी मचल रही है।
घर-घर मेहमानी जाड़े की,
ठण्ड हिरन-सी उछल रही है ।
गर्मी से जाड़े की चखचख,
झगड़ा बढ़ा, हो गई छुट्टी !
गरम पकौड़े रौब गाँठते,
हँसने लगे चाय के प्याले ।
कम्बल, पैण्ट, रजाई, मफ़लर,
शान दिखाए शाल-दुशाले ।
शोख चपल, अल्हड़ इठला कर,
सर्दी लगी गाँठने चड्ढी !