भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बस प्यार जहाँ, तकरार नहीं है / मनोज मानव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोज मानव |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGeetik...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:56, 4 मार्च 2019 के समय का अवतरण

बस प्यार जहाँ, तकरार नहीं है।
कुछ और कहो, वह प्यार नहीं है।

तुम प्यार करो, हम प्यार करेंगे,
अदला-बदली, उपकार नहीं है।

दिल हार किसी पर, नींद गँवाना,
कह जीत इसे यह हार नहीं है।

बिन बात गये तुम रूठ कभी तो,
करनी हमको मनुहार नहीं है।

गलती बिन रूठ कभी हम जायें,
यह तो अपना व्यवहार नहीं है।

कुछ दान करें हम, रोक हमें ले,
इसका जग को अधिकार नहीं है।

जब नाव फँसे मझधार किसी की,
मिलती उसको पतवार नहीं है।
+++++++++++++++++++++
आधार छन्द-तारक (13 वर्णिक)
सुगम मापनी-ललगा गालगा-गालगा गालगा गा
पारम्परिक सूत्र-स स-स स ग