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"शारदे माँ को केवल नमन चाहिये / रंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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न पूछो कौन अब किसकी निगाहों का निशाना है।
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शारदे माँ को केवल नमन चाहिए.
अभी थोड़ी वफ़ा इस जिंदगानी से निभाना है॥
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साधना पंथ का अनुगमन चाहिए॥
  
वजह ढूँढ़े नहीं मिलती जिये जाने की दुनियाँ में
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गर्व की बात या कर न अभिमान की  
बहुत दिन जी लिए तुम बिन हमें अब पास आना है॥
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ज्ञान की ओर तेरी लगन चाहिए॥
  
जमाने भर के दर्दों ने है कुटी ढूँढ़ ली मेरी
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मुक्ति का द्वार खुल जायेगा आप ही
करें क्या आँसुओं का आँख से रिश्ता पुराना है॥
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जाह्नवी नीर का आचमन चाहिए॥
  
बहुत हैं अड़चनें पथ में हैं पल-पल ठोकरें मिलतीं
+
जगमगायेगी तम से भरी यह जगह
न थक कर बैठ तुम जाओ अभी तो दूर जाना है॥
+
एक जलते दिए की किरन चाहिए॥
  
न तोड़ो तुम कली को ये बड़ी मासूम है होती
+
जुगनुओं ने भी रोशन किये घोंसले
इसे सम्बंध खुशबू खार दोनों से निभाना है॥
+
पाँव को अब न कोई थकन चाहिए॥
  
सुबह से ही चिरैया चहचहाती मेरे आँगन में
+
हार जाएँगी सब मुश्किलें है राह की
बिखेरा उसकी खातिर भी जरा-सा पानी दाना है॥
+
आँख में जीत का एक सपन चाहिए॥
  
नदी दौड़ी चली जाती समंदर से मिलन करने
+
हाथ में ले मशालें चलो चल पड़ें
समंदर का मगर दिल तो सदा से आशिक़ाना है॥
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साथ साहस भरा एक मन चाहिए॥
  
 
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13:20, 11 मार्च 2019 के समय का अवतरण

शारदे माँ को केवल नमन चाहिए.
साधना पंथ का अनुगमन चाहिए॥

गर्व की बात या कर न अभिमान की
ज्ञान की ओर तेरी लगन चाहिए॥

मुक्ति का द्वार खुल जायेगा आप ही
जाह्नवी नीर का आचमन चाहिए॥

जगमगायेगी तम से भरी यह जगह
एक जलते दिए की किरन चाहिए॥

जुगनुओं ने भी रोशन किये घोंसले
पाँव को अब न कोई थकन चाहिए॥

हार जाएँगी सब मुश्किलें है राह की
आँख में जीत का एक सपन चाहिए॥

हाथ में ले मशालें चलो चल पड़ें
साथ साहस भरा एक मन चाहिए॥