"विनती / उमेश बहादुरपुरी" के अवतरणों में अंतर
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<poem> | <poem> | ||
− | गद्य पद्य | + | गद्य पद्य नञ् छंद के जानूँ नञ् भाषा के ग्यान |
− | दिला सकऽ हऽ | + | दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान |
− | संसकिरित अंगरेजी हिंदी हे ग्यानी के | + | |
− | अग्यानी मगही ही हम ओकरो में | + | संसकिरित अंगरेजी हिंदी हे ग्यानी के खातिर |
− | विनती कर रहलुँ तोहरा से हम बालक | + | अग्यानी मगही ही हम ओकरो में नञ् शातिर |
− | हम्मर बाजी तोर हाँथ में रखिहा मइया | + | विनती कर रहलुँ तोहरा से हम बालक नादान |
− | + | दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान | |
− | हमरा रस्ता | + | |
− | कोय कहऽ हे वीणापाणी कोय मइया | + | हम्मर बाजी तोर हाँथ में रखिहा मइया लाज |
− | हमरा जइसन अग्यानी बोले मइया हमरा तार | + | नञ् सरसता वाणी में हे अधूरा हम्मर साज |
− | चाहऽ त हो जाय मइया पल भर में | + | हमरा रस्ता नञ् सूझे हम राही अंजान |
− | ऐसन कुछ लिखवा दे मइया देके | + | दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान |
− | मिट गेला पर अमर रहूँ हम लोग करथ फिर | + | |
− | हमरो तूँ करवा दऽ मइया साहित-रस के | + | कोय कहऽ हे वीणापाणी कोय मइया शारदे |
+ | हमरा जइसन अग्यानी बोले मइया हमरा तार दे | ||
+ | चाहऽ त हो जाय मइया पल भर में उत्थान | ||
+ | दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान | ||
+ | |||
+ | ऐसन कुछ लिखवा दे मइया देके आशीर्वाद | ||
+ | मिट गेला पर अमर रहूँ हम लोग करथ फिर याद | ||
+ | हमरो तूँ करवा दऽ मइया साहित-रस के पान | ||
+ | दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान | ||
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11:43, 13 मार्च 2019 के समय का अवतरण
गद्य पद्य नञ् छंद के जानूँ नञ् भाषा के ग्यान
दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान
संसकिरित अंगरेजी हिंदी हे ग्यानी के खातिर
अग्यानी मगही ही हम ओकरो में नञ् शातिर
विनती कर रहलुँ तोहरा से हम बालक नादान
दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान
हम्मर बाजी तोर हाँथ में रखिहा मइया लाज
नञ् सरसता वाणी में हे अधूरा हम्मर साज
हमरा रस्ता नञ् सूझे हम राही अंजान
दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान
कोय कहऽ हे वीणापाणी कोय मइया शारदे
हमरा जइसन अग्यानी बोले मइया हमरा तार दे
चाहऽ त हो जाय मइया पल भर में उत्थान
दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान
ऐसन कुछ लिखवा दे मइया देके आशीर्वाद
मिट गेला पर अमर रहूँ हम लोग करथ फिर याद
हमरो तूँ करवा दऽ मइया साहित-रस के पान
दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान