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"आझ के नेता / उमेश बहादुरपुरी" के अवतरणों में अंतर

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घर से अच्छा बाहरवाला इहे ले देलूँ हल वोट।
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घर से अच्छा बाहरवाला इहे ले देलूँ हल वोट
हमरा की मालूम जितला पर छापे लगतन नोट।।
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हमरा की मालूम जितला पर छापे लगतन नोट
चुनाव जिते से पहले, घर-घर घुरला नेताजी।
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चुनाव जिते से पहले, घर-घर घुरला नेताजी
जीत गेला पर चलऽ हथ ऐसे, जइसे कोय अभिनेता जी।
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जीत गेला पर चलऽ हथ ऐसे, जइसे कोय अभिनेता जी
शपथ-ग्रहण के समय से ही करे लगल लूट-खसोट।।
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शपथ-ग्रहण के समय से ही करे लगल लूट-खसोट
गीता पर रख के हाँथ जे बेचलक अपन ईमान के।
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गीता पर रख के हाँथ जे बेचलक अपन ईमान के
आबऽ मिल-जुल के सब बोलऽ जय-खय बेइमान के।
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आबऽ मिल-जुल के सब बोलऽ जय-खय बेइमान के
जनता के लिये न´् सुक्खल रोटी खा हथ ऊ अखरोट।।
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जनता के लिये नञ् सुक्खल रोटी खा हथ ऊ अखरोट
एलेक्सन के समय अक्सर बिकते देखलूँ मतदाता के।
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एलेक्सन के समय अक्सर बिकते देखलूँ मतदाता के
बेचे वाला हें अब तो ऊ अप्पन जगदाता के।
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बेचे वाला हें अब तो ऊ अप्पन जगदाता के
समझ में आबे अब न´् हमरा के बड़ हाँथ के छोट।।
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समझ में आबे अब नञ् हमरा के बड़ हाँथ के छोट
एलेक्सन के हालत देखके हम्मर माथा ठनक हे।
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एलेक्सन के हालत देखके हम्मर माथा ठनक हे
जे खा हल बिन नोन के रोटी ओक्कर घर कंगन खनकऽ हे।
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जे खा हल बिन नोन के रोटी ओक्कर घर कंगन खनकऽ हे
दुबरा गेला हें देवी-देवता हो गेल बकरा मोट।।
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दुबरा गेला हें देवी-देवता हो गेल बकरा मोट
बात करे सब नैतिका के न´् नैतिकता केकरो पास।
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बात करे सब नैतिका के नञ् नैतिकता केकरो पास
ऊपर से निच्चे तक हो रहलो हें एक्कर ह्यास।
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ऊपर से निच्चे तक हो रहलो हें एक्कर ह्यास
हर दामन हे कालिख पूतल, हर मन में बसल हे खोट।।
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हर दामन हे कालिख पूतल, हर मन में बसल हे खोट
एलेक्सन के अइते शुरू हो जाहे सगरो खरीद बिकरी।
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एलेक्सन के अइते शुरू हो जाहे सगरो खरीद बिकरी
केतना गला में शोभे माला केतना गला में सिकरी।
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केतना गला में शोभे माला केतना गला में सिकरी
हार गेला से हार गेला जितला पर काला कोट।।
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हार गेला से हार गेला जितला पर काला कोट
  
 
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14:08, 13 मार्च 2019 के समय का अवतरण

घर से अच्छा बाहरवाला इहे ले देलूँ हल वोट
हमरा की मालूम जितला पर छापे लगतन नोट
चुनाव जिते से पहले, घर-घर घुरला नेताजी
जीत गेला पर चलऽ हथ ऐसे, जइसे कोय अभिनेता जी
शपथ-ग्रहण के समय से ही करे लगल लूट-खसोट
गीता पर रख के हाँथ जे बेचलक अपन ईमान के
आबऽ मिल-जुल के सब बोलऽ जय-खय बेइमान के
जनता के लिये नञ् सुक्खल रोटी खा हथ ऊ अखरोट
एलेक्सन के समय अक्सर बिकते देखलूँ मतदाता के
बेचे वाला हें अब तो ऊ अप्पन जगदाता के
समझ में आबे अब नञ् हमरा के बड़ हाँथ के छोट
एलेक्सन के हालत देखके हम्मर माथा ठनक हे
जे खा हल बिन नोन के रोटी ओक्कर घर कंगन खनकऽ हे
दुबरा गेला हें देवी-देवता हो गेल बकरा मोट
बात करे सब नैतिका के नञ् नैतिकता केकरो पास
ऊपर से निच्चे तक हो रहलो हें एक्कर ह्यास
हर दामन हे कालिख पूतल, हर मन में बसल हे खोट
एलेक्सन के अइते शुरू हो जाहे सगरो खरीद बिकरी
केतना गला में शोभे माला केतना गला में सिकरी
हार गेला से हार गेला जितला पर काला कोट