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|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी
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|संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी
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हमरा में तूँ आके सटऽ सुनऽ ए गोरी।गोरीमत करऽ तूँ हट-हट सुनऽ ए गोरी।।गोरीतूँ हऽ रानी एगो नाजुक फुलवा।फुलवातूँ हीं हऽ काँचा रसगुलवा।रसगुलवाकर लऽ हमसे लटपट सुनऽ ए गोरी।। गोरीमत ....तूँ हऽ रनियाँ जइसे काली रे नगिनियाँ।नगिनियाँतोहर डँसल कोय माँगे न´् पनियाँ।नञ् पनियाँहमरा तूँ आके चाटऽ सुनऽ ए गोरी।। गोरीमत ....तूँ ही हऽ रानी हमर दिलजनियाँ।दिलजनियाँजान मारे हमरा तोर जुल्मी जवनियाँ।जवनियाँकर लऽ प्यार झटपट सुनऽ ए गोरी।। गोरीमत ....गेला पर हम घुर के न अइबो।अइबोसुतला पर हम तोहरा जगइबो।जगइबोकर लऽ प्यार फटाफट सुनऽ ए गोरी।। गोरीमत ....आबऽ तनी नैन से नैन मिलावऽ।मिलावऽअब तूँ रानी हमरा न´् तरसाबऽ।तरसाबऽमत करऽ तूँ खटपट सुन ऐ गोरी।। गोरीमत ....
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