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"लौटना नहीं / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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07:05, 18 मार्च 2019 का अवतरण
97
घृणा के बीज
बीजते दिन-रात
प्रेम न उगे।
98
लंका समझ
जलाया था जो घर
मेरा था वह ।
99
वाद-विवाद
अधमरे संवाद
जीवन-चर्या ।
100
पूजा निष्काम
कलह दिन-रात
नहीं विराम ।
101
शास्त्रों का सार
जग के सारे पाश
हमने रचे ।
102
नेकी न कर
लोग मार डालेंगे
ख़ुदा से डर ।
103
उजड़ा घर
सर्प -जैसी फुत्कार
काँपी दीवार ।
104
चुभी आँखों में
कल्याण- कामनाएँ
अंधड़ हेरे ।
105
लौटना नहीं
बेघर -बेसहारा
खुला अम्बर ।
106
रिश्तों का तौंक
दिन -रात टीसता
गले में फँसा।
107
बिछे अंगार
चला हूँ नंगे पाँव
कोई न ठौर ।
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