भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"डीजल आवै दूने दाम / बोली बानी / जगदीश पीयूष" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह=बोली बानी / जगदी...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

07:41, 18 मार्च 2019 के समय का अवतरण

डीजल आवै दूने दाम
बिजुरी होइगै जै जै राम

लरिका पांवें नाहीं सेवईं औ खीर राम जी
मंहगी होइगै हमरी गटई कै जंजीर राम जी

बिना दूध घिव प्याज
गामा कर थें रियाज

होइगे धन्ना सेठ कौड़ी कै फकीर राम जी
मंहगी होइगै हमरी गटई कै जंजीर राम जी

महंगी होइगै चिल्ला जाड़ा
लरिका कैसे पढ़ै पहाड़ा

लिखी गदहा के गोड़े तकदीर राम जी
मंहगी होइगै हमरी गटई कै जंजीर राम जी