भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गोरी गावे कजरी / बोली बानी / जगदीश पीयूष" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKRachna |रचनाकार=जगदीश पीयूष |अनुवादक= |संग्रह=बोली बान...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
08:25, 18 मार्च 2019 के समय का अवतरण
गोरी गावे कजरी
घिरि आई बदरी
गावे ग्वाल बाल कनवा उटेर बिरहा
चुवे बुढ़ऊ क घर गिरि जाय मड़हा
घूम घूम बदरा
झूम झूम बदरा
गिरै पनिया पनारा होइ जाय गड़हा
चुवे बुढ़ऊ क घर गिरि जाय मड़हा
धार धार बदरा
जइसे गिरै मुसरा
भरे खेतवा कियारी उतिराय बरहा
चुवे बुढ़ऊ क घर गिरि जाय मड़हा