भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मोहें गहना ना गढ़ावा / बोली बानी / जगदीश पीयूष" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKRachna |रचनाकार=जगदीश पीयूष |अनुवादक= |संग्रह=बोली बान...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

09:21, 18 मार्च 2019 का अवतरण

{{KKRachna
|रचनाकार=जगदीश पीयूष
|अनुवादक=
|संग्रह=बोली बानी / जगदीश पीयूष
}}




गोरी गावे कजरी

घिरि आई बदरी



गावे ग्वाल बाल कनवा उटेर बिरहा

चुवे बुढ़ऊ क घर गिरि जाय मड़हा



घूम घूम बदरा

झूम झूम बदरा



गिरै पनिया पनारा होइ जाय गड़हा

चुवे बुढ़ऊ क घर गिरि जाय मड़हा



धार धार बदरा

जइसे गिरै मुसरा



भरे खेतवा कियारी उतिराय बरहा

चुवे बुढ़ऊ क घर गिरि जाय मड़हा


</poem>