भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"साथ में प्यार औ वफ़ा रखिये / रंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=शाम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:55, 19 मार्च 2019 के समय का अवतरण

साथ में प्यार औ वफ़ा रखिये
आप जीने का हौसला रखिये

जिंदगी चार दिन बची अब तो
क्यूँ किसी से कोई गिला रखिये

सिर्फ़ खुशियाँ नहीं मिला करती
हाथ ग़म से भी तो मिला रखिये

है नहीं साथ हर कोई देता
आप सबसे न आसरा रखिये

हर मुसीबत से है बचा लेती
साथ माँ बाप की दुआ रखिये