भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मुश्किलें देख के जो राह की डर जायेगा / रंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=शाम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:15, 19 मार्च 2019 के समय का अवतरण
मुश्किलें देख के जो राह की डर जायेगा
बीच रस्ते से ही वह लौट के घर जायेगा
हो सदा साथ में हिम्मत बहुत ज़रूरी है
मुश्किलों से भरा यह दिन भी गुजर जायेगा
फूल तोड़ोगे तो काँटे भी लिपट जायेंगे
खुशबुओं से तेरा दामन भी तो भर जायेगा
ठोकरें मारना पत्थर को न पत्थर कह कर
बन के मूरत यही भगवान के घर जायेगा
रख सदा अपनी निगाहों को जानिबे मंजिल
खुशनुमा ज़िन्दगी का तेरी सफ़र जायेगा