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"दर्द दिया बन कर जलता है / रंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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13:42, 19 मार्च 2019 के समय का अवतरण

दर्द दिया बन कर जलता है
श्वास सदा जीवन छलता है

पीर दुसह जब हो जाती है
जल बन कर हिमगिरि गलता है

मेघ व्यथा के जब घिर आते
आँसू आँखों में पलता है

गैरों ने जो दिए सहे पर
अपनों का धोखा खलता है

वक्त फिसल यदि गया हाथ से
हाथ खड़ा हो कर मलता है