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"हाथ अपने अगर उठा लेंगे / रंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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13:42, 19 मार्च 2019 के समय का अवतरण

हाथ अपने अगर उठा लेंगे
हम भी मंजिल ज़रूर पा लेंगे

टूट जाते हैं रोज भी तो क्या
ख्वाब आँखों में फिर सजा लेंगे

यूँ तो हमदर्दियाँ भी हैं महंगी
अश्क़ दो चार तो बहा लेंगे

अपनी हिम्मत अगर रहे जिंदा
ग़म की बारिश में भी नहा लेंगे

फिर भटकने का डर नहीं होगा
एक दीपक अगर जला लेंगे