भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ख्वाब आँखों को दिखा कर चल दिये / रंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=शाम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
13:45, 19 मार्च 2019 के समय का अवतरण
ख्वाब आँखों को दिखा कर चल दिये
इक नई दुनियाँ बसा कर चल दिये
हम निगाहों में लिए थे दिल खड़े
और वह बस मुस्कुरा कर चल दिये
चाहते तो थे तुम्हारी दोस्ती
दुश्मनी पर तुम निभा कर चल दिये
जिंदगी आसान है किस ने कहा
लोग आये दिन बिता कर चल दिये
दिल लगाया संग से पाया सिला
जश्न जख्मों का मना कर चल दिये