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"पीर उठती है दर्द बहता है / रंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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13:55, 19 मार्च 2019 के समय का अवतरण

पीर उठती है दर्द बहता है
हाल हर रोज यही रहता है

सिर्फ मेरी नहीं कहानी ये
दर्द हर शख्स यही सहता है

आँसुओं को छुपाए है रखता
आह भरता न कोई कहता है

उसकी आँखों का हर छिपा आँसू
मेरी आँखों से ही क्यों बहता है

लड़खड़ा कर स्वयं संभल जाता
बाँह तो कोई नहीं गहता है