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"जाने कब किस ओर कहाँ से रोज सवेरा आता है / रंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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जाने कब किस ओर कहाँ से रोज सवेरा आता है
जाने अनजाने संसृति को नव जीवन दे जाता है
शीतल पवन रोज आ जाता साँसों को सरसाने
खिलता सुमन भिन्न रंगों में सबका ह्रदय लुभाता है
सागर की उत्ताल तरंगें देती घन को पानी
कर स्वरूप जल ले कर बादल कई गुना लौटाता है
फल से लदे श्रेष्ठ तरुवर धरती पर हैं झुक जाते
धूप उजाला बाँटे सूरज घन मिस जल बरसाता है
नदिया देती मीठा पानी धरा अन्न उपजाती
इस पावन धरती से अपना जनम-जनम का नाता है