भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"क्या कहूँ मेरी वफ़ाएं क्या हुईं / सुमन ढींगरा दुग्गल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमन ढींगरा दुग्गल |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:49, 23 मार्च 2019 के समय का अवतरण
क्या कहूँ मेरी वफ़ाएं क्या हुईं
हाँ मगर तेरी ज़फ़ाएं क्या हुईं
गूँजता था जिनकी किलकारी से घर
नन्हीं नन्हीं वो सदाएं क्या हुईं
झुर्रियों से पूछता है आईना
दिलकशी की वो फ़ज़ाएं क्या हुईं
जिस को पा कर खूब इतराते थे तुम
वो जवानी वो अदाएं क्या हुईं
जिनका रुख़ तुम मोड़ देते थे कभी
तुम बताओ वो हवाएं क्या हुईं
वक्त ने बदला ज़रा सा क्या मिज़ाज
थीं जो खुशियां दाएँ बाएं क्या हुईं
आप भी कुछ लबकुशा होंगे जनाब
या कि सब हम ही बताएं क्या हुईं