भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ये ज़िंदगी जो तेरे दर्द के हिसार में है / सुमन ढींगरा दुग्गल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमन ढींगरा दुग्गल |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:56, 23 मार्च 2019 के समय का अवतरण
ये ज़िंदगी जो तेरे दर्द के हिसार में है
न इख़्तियार से बाहर न इख़्तियार में है
मेरे वजूद पे इक बेख़़ु़ुदी सी तारी है
अजीब कैफ़ तेरे शौक़े इंतज़ार में है