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"हियाँ न भुइयाँ हैं नींबी तर / बोली बानी / जगदीश पीयूष" के अवतरणों में अंतर
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07:43, 24 मार्च 2019 के समय का अवतरण
हियाँ न भुइयाँ हैं नींबी तर
ना गौरी न गनेस
सजनवा! चल अपने घर देस
धीरज के खुलि रहें किंवाड़े
हियाँ सुपास न बइठे-ठाढ़े
पइसा खातिर जरै जिन्दगी
रहु-रहु बस-बस करै जिन्दगी
भूखे भेड़हा घूमि रहे हैं
धरे संत का भेस
जा दिन ते मैं घर ते आयी
दीख न सबिता अउर जोन्हायी
पुरिखा-पुरखिन दफन हुइ गये
ख्यात-पात सब सपन हुइ गये
छूटि जाय ना कहूँ गाव के
बरगद क्यार लगेस
मोती-कूकुर मिठुआ-सुग्गा
दुल्ला-दीदी काका-जग्गा
रामकली रामायन बाँचै
सबकी यादि आँखि मा नाचै
सालु बीतिगा लउटि चलौ घर
अब ना करौ कलेस