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"बिजलियों सी चमक है तेरी / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर

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बिजलियों सी चमक है तेरी
 
बिजलियों सी चमक है तेरी
 
ज़ाफ़रानी महक है तेरी
 
ज़ाफ़रानी महक है तेरी
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दिल पे छाई धनक है तिरी
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ज़ाफ़रानी महक है तिरी
  
 
मेरे ख़्वाबों ख़यालों में बस
 
मेरे ख़्वाबों ख़यालों में बस
चूड़ियों की खनक है तेरी
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चूड़ियों की खनक है तिरी
  
 
ख़ामुशी, बाग़ में अब कहाँ
 
ख़ामुशी, बाग़ में अब कहाँ
क़ुमरियों सी चहक है तेरी
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क़ुमरियों सी चहक है तिरी
  
 
सीप सागर के तुझ पर फ़िदा
 
सीप सागर के तुझ पर फ़िदा
मोतियों में दमक है तेरी
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मोतियों में दमक है तिरी
  
 
शाख़े-गुल का हो जिस पर गुमां
 
शाख़े-गुल का हो जिस पर गुमां
वो कमर की लचक है तेरी
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वो कमर की लचक है तिरी
  
 
धूप करती है तुझको सलाम
 
धूप करती है तुझको सलाम
चांदनी में झलक है तेरी
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चांदनी में झलक है तिरी
  
तेरे दिल में मेरा दर्द है
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तेरे दिल में मिरा दर्द है
मेरे दिल में कसक है तेरी
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मेरे दिल में कसक है तिरी
  
 
सच तो ये है मुझे ऐ 'रक़ीब'
 
सच तो ये है मुझे ऐ 'रक़ीब'
अब रक़ाबत पे शक है तेरी
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अब रक़ाबत पे शक है तिरी
 
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18:04, 23 अप्रैल 2019 के समय का अवतरण


बिजलियों सी चमक है तेरी
ज़ाफ़रानी महक है तेरी

दिल पे छाई धनक है तिरी
ज़ाफ़रानी महक है तिरी

मेरे ख़्वाबों ख़यालों में बस
चूड़ियों की खनक है तिरी

ख़ामुशी, बाग़ में अब कहाँ
क़ुमरियों सी चहक है तिरी

सीप सागर के तुझ पर फ़िदा
मोतियों में दमक है तिरी

शाख़े-गुल का हो जिस पर गुमां
वो कमर की लचक है तिरी

धूप करती है तुझको सलाम
चांदनी में झलक है तिरी

तेरे दिल में मिरा दर्द है
मेरे दिल में कसक है तिरी

सच तो ये है मुझे ऐ 'रक़ीब'
अब रक़ाबत पे शक है तिरी