भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सपना में देखलां / ब्रह्मदेव कुमार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रह्मदेव कुमार |अनुवादक= }} {{KKCatAngikaRac...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
 
हाय गे माय, सपना में देखलां।
 
हाय गे माय, सपना में देखलां।
 
पिया नै छै पढ़लोॅ हे भगवान,
 
पिया नै छै पढ़लोॅ हे भगवान,
हाय गे माय, सपना में देखलां।।
+
हाय गे माय, सपना में देखलां।
  
 
बेचबै हम शंखा चूड़ी, कीनबै कितबिया
 
बेचबै हम शंखा चूड़ी, कीनबै कितबिया
 
हाय गे माई, काॅपी-कलमियाँ।
 
हाय गे माई, काॅपी-कलमियाँ।
 
पिया जी केॅ भेजबै सब सामान,
 
पिया जी केॅ भेजबै सब सामान,
हाय गे माई, काॅपी-कलमियाँ।।
+
हाय गे माई, काॅपी-कलमियाँ।
  
 
बाबू जी से चुपके-चोरी भेजबै रूपैया
 
बाबू जी से चुपके-चोरी भेजबै रूपैया
 
हाय गे माई, मास्टर लगैबै।
 
हाय गे माई, मास्टर लगैबै।
 
पियाजी केॅ बनैबै हम विद्वान
 
पियाजी केॅ बनैबै हम विद्वान
हाय गे माई, मास्टर लगैबै।।
+
हाय गे माई, मास्टर लगैबै।
  
 
साक्षरता-केन्द्र खोली-खोली, पियाजी के संग-संग
 
साक्षरता-केन्द्र खोली-खोली, पियाजी के संग-संग
 
हाय गे माई, सबकेॅ पढ़ैभै।
 
हाय गे माई, सबकेॅ पढ़ैभै।
 
सफल होतै साक्षरता-अभियान
 
सफल होतै साक्षरता-अभियान
हाय गे माई, सबकेॅ पढ़ैभै।।
+
हाय गे माई, सबकेॅ पढ़ैभै।
  
 
अनपढ़-निरक्षर नाहीं रहतै कोय आवेॅ
 
अनपढ़-निरक्षर नाहीं रहतै कोय आवेॅ
 
हाय गे माई, करै छीं परणमां।
 
हाय गे माई, करै छीं परणमां।
 
होतै हमरोॅ भारत देश महान्
 
होतै हमरोॅ भारत देश महान्
हाय गे माई, करै छीं परणमां।।
+
हाय गे माई, करै छीं परणमां।
 
</poem>
 
</poem>

23:10, 2 मई 2019 के समय का अवतरण

गौना-गौना सुनथैं रहलां, गौना नाहीं भइलै
हाय गे माय, सपना में देखलां।
पिया नै छै पढ़लोॅ हे भगवान,
हाय गे माय, सपना में देखलां।

बेचबै हम शंखा चूड़ी, कीनबै कितबिया
हाय गे माई, काॅपी-कलमियाँ।
पिया जी केॅ भेजबै सब सामान,
हाय गे माई, काॅपी-कलमियाँ।

बाबू जी से चुपके-चोरी भेजबै रूपैया
हाय गे माई, मास्टर लगैबै।
पियाजी केॅ बनैबै हम विद्वान
हाय गे माई, मास्टर लगैबै।

साक्षरता-केन्द्र खोली-खोली, पियाजी के संग-संग
हाय गे माई, सबकेॅ पढ़ैभै।
सफल होतै साक्षरता-अभियान
हाय गे माई, सबकेॅ पढ़ैभै।

अनपढ़-निरक्षर नाहीं रहतै कोय आवेॅ
हाय गे माई, करै छीं परणमां।
होतै हमरोॅ भारत देश महान्
हाय गे माई, करै छीं परणमां।