"नया विहान / ब्रह्मदेव कुमार" के अवतरणों में अंतर
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आज अमरैया में, ताल-तलैया में | आज अमरैया में, ताल-तलैया में | ||
बाजै छै बाँसुरी के तान हो । | बाजै छै बाँसुरी के तान हो । | ||
− | लहरै छै साक्षरता- | + | लहरै छै साक्षरता-गान। |
गाँव के पोखरिया के, निर्मल पानी | गाँव के पोखरिया के, निर्मल पानी | ||
पानी में खेल करै, गोरिया सयानी। | पानी में खेल करै, गोरिया सयानी। | ||
होठोॅ सेॅ फूटै मुस्कान हो | होठोॅ सेॅ फूटै मुस्कान हो | ||
− | फूटै छै साक्षरता- | + | फूटै छै साक्षरता-गान। |
कादोॅ भरला खेतोॅ में, रोपनी इठलाय गे | कादोॅ भरला खेतोॅ में, रोपनी इठलाय गे | ||
धान रोपी-रोपी बहिन, साक्षरता-गीत गाय गे | धान रोपी-रोपी बहिन, साक्षरता-गीत गाय गे | ||
गुँजै छै धरती-आसमान हो | गुँजै छै धरती-आसमान हो | ||
− | गुँजै छै साक्षरता- | + | गुँजै छै साक्षरता-गान। |
नदी किनारा में गोरी, गेहूँवा के खेत में | नदी किनारा में गोरी, गेहूँवा के खेत में | ||
क-ख-ग-घ लिखी-लिखी, नदिया के रेत में। | क-ख-ग-घ लिखी-लिखी, नदिया के रेत में। | ||
झूमी-झूमी गाबै छै गान हो | झूमी-झूमी गाबै छै गान हो | ||
− | गाबै छै साक्षरता- | + | गाबै छै साक्षरता-गान। |
बोझोॅ माथा लैकेॅ चलै, ठुमुक-ठुमुक चाल गे | बोझोॅ माथा लैकेॅ चलै, ठुमुक-ठुमुक चाल गे | ||
हँसी-हँसी बतियाबै, लिखै-पढ़ै के हाल गे। | हँसी-हँसी बतियाबै, लिखै-पढ़ै के हाल गे। | ||
आबेॅ जे पुरतै अरमान हो | आबेॅ जे पुरतै अरमान हो | ||
− | रही-रही पुलकै छै | + | रही-रही पुलकै छै प्राण। |
धानोॅ केॅ डंगाय बहिन, जबेॅ सुस्ताय छै | धानोॅ केॅ डंगाय बहिन, जबेॅ सुस्ताय छै | ||
साक्षरता के पाठ, पढ़ी केॅ सुनाय छै। | साक्षरता के पाठ, पढ़ी केॅ सुनाय छै। | ||
भेलै आबेॅ नया विहान हो | भेलै आबेॅ नया विहान हो | ||
− | साक्षरता के गुण | + | साक्षरता के गुण महान्। |
− | सगरोॅ गुँजै साक्षरता- | + | सगरोॅ गुँजै साक्षरता-गान। |
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23:13, 2 मई 2019 के समय का अवतरण
आज अमरैया में, ताल-तलैया में
बाजै छै बाँसुरी के तान हो ।
लहरै छै साक्षरता-गान।
गाँव के पोखरिया के, निर्मल पानी
पानी में खेल करै, गोरिया सयानी।
होठोॅ सेॅ फूटै मुस्कान हो
फूटै छै साक्षरता-गान।
कादोॅ भरला खेतोॅ में, रोपनी इठलाय गे
धान रोपी-रोपी बहिन, साक्षरता-गीत गाय गे
गुँजै छै धरती-आसमान हो
गुँजै छै साक्षरता-गान।
नदी किनारा में गोरी, गेहूँवा के खेत में
क-ख-ग-घ लिखी-लिखी, नदिया के रेत में।
झूमी-झूमी गाबै छै गान हो
गाबै छै साक्षरता-गान।
बोझोॅ माथा लैकेॅ चलै, ठुमुक-ठुमुक चाल गे
हँसी-हँसी बतियाबै, लिखै-पढ़ै के हाल गे।
आबेॅ जे पुरतै अरमान हो
रही-रही पुलकै छै प्राण।
धानोॅ केॅ डंगाय बहिन, जबेॅ सुस्ताय छै
साक्षरता के पाठ, पढ़ी केॅ सुनाय छै।
भेलै आबेॅ नया विहान हो
साक्षरता के गुण महान्।
सगरोॅ गुँजै साक्षरता-गान।