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"जिनगी बेहाल / ब्रह्मदेव कुमार" के अवतरणों में अंतर

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भौजी सुनाबै छै आपनोॅ हाल।
 
भौजी सुनाबै छै आपनोॅ हाल।
 
हमरोॅ करम तेॅ फुटलोॅ छै,
 
हमरोॅ करम तेॅ फुटलोॅ छै,
बिना पढ़लें-लिखलें जिनगी बेहाल।।
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बिना पढ़लें-लिखलें जिनगी बेहाल।
  
 
अलबेला पिया हमरोॅ परदेश बसै छै
 
अलबेला पिया हमरोॅ परदेश बसै छै
 
रूपया भेजै छै, चिट्ठियो भेजै छै।
 
रूपया भेजै छै, चिट्ठियो भेजै छै।
 
कŸोॅ भेजै छै, की-की लिखै छै
 
कŸोॅ भेजै छै, की-की लिखै छै
जानै सकै नै छीं कुछ्छु हाल।।
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जानै सकै नै छीं कुछ्छु हाल।
  
 
लाजोॅ-शरम सेॅ बोलै नै छीं
 
लाजोॅ-शरम सेॅ बोलै नै छीं
 
दिलोॅ के बतिया खोलै नै छीं।
 
दिलोॅ के बतिया खोलै नै छीं।
 
छोटकी ननदिया, जहर के पुड़िया
 
छोटकी ननदिया, जहर के पुड़िया
लूतरी लारी केॅ करै छै काल।।
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लूतरी लारी केॅ करै छै काल।
  
 
छोटका देवरवा कुछ नै बताय छै
 
छोटका देवरवा कुछ नै बताय छै
 
अंगूठा छाप कही-कही चिढ़ाय छै।
 
अंगूठा छाप कही-कही चिढ़ाय छै।
 
मन करै जरी-डूबी केॅ मरौं
 
मन करै जरी-डूबी केॅ मरौं
राखी की करतै ई जिनगी बदहाल।।
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राखी की करतै ई जिनगी बदहाल।
  
 
एकरोॅ कौनों उपाय करबै
 
एकरोॅ कौनों उपाय करबै
 
पढ़ै-लिखै लेॅ हम्हूँ सीखबै।
 
पढ़ै-लिखै लेॅ हम्हूँ सीखबै।
 
पढ़ी-लिखी केॅ, सीखी-सीखी केॅ
 
पढ़ी-लिखी केॅ, सीखी-सीखी केॅ
जिनगी बनैबै आपनोॅ खुशहाल।।
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जिनगी बनैबै आपनोॅ खुशहाल।
 
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23:15, 2 मई 2019 के समय का अवतरण

पकड़ी-पकड़ी केॅ, कानी-कानी केॅ,
भौजी सुनाबै छै आपनोॅ हाल।
हमरोॅ करम तेॅ फुटलोॅ छै,
बिना पढ़लें-लिखलें जिनगी बेहाल।

अलबेला पिया हमरोॅ परदेश बसै छै
रूपया भेजै छै, चिट्ठियो भेजै छै।
कŸोॅ भेजै छै, की-की लिखै छै
जानै सकै नै छीं कुछ्छु हाल।

लाजोॅ-शरम सेॅ बोलै नै छीं
दिलोॅ के बतिया खोलै नै छीं।
छोटकी ननदिया, जहर के पुड़िया
लूतरी लारी केॅ करै छै काल।

छोटका देवरवा कुछ नै बताय छै
अंगूठा छाप कही-कही चिढ़ाय छै।
मन करै जरी-डूबी केॅ मरौं
राखी की करतै ई जिनगी बदहाल।

एकरोॅ कौनों उपाय करबै
पढ़ै-लिखै लेॅ हम्हूँ सीखबै।
पढ़ी-लिखी केॅ, सीखी-सीखी केॅ
जिनगी बनैबै आपनोॅ खुशहाल।