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"लैकेॅ कलम-किताब / ब्रह्मदेव कुमार" के अवतरणों में अंतर

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भाय- चलें-चलें-चलें बहिन इस्कूल गे, लैकेॅ कलम-किताब।
 
भाय- चलें-चलें-चलें बहिन इस्कूल गे, लैकेॅ कलम-किताब।
बहिन- सुनोॅ-सुनोॅ-सुनोॅ मोरे भैया हो, नै छै कलम-किताब।।
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बहिन- सुनोॅ-सुनोॅ-सुनोॅ मोरे भैया हो, नै छै कलम-किताब।
  
 
भाय- रंग-बिरंग सिलैबो गे बहिन, तोरोॅ फराक।
 
भाय- रंग-बिरंग सिलैबो गे बहिन, तोरोॅ फराक।
कीनी देबोॅ काॅपी-कलम गे, कीनी देबौ किताब।।
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कीनी देबोॅ काॅपी-कलम गे, कीनी देबौ किताब।
  
 
बहिन- की करबै पढ़ी-लिखी भैया हो, जरा दिहोॅ जबाव।
 
बहिन- की करबै पढ़ी-लिखी भैया हो, जरा दिहोॅ जबाव।
नै छै लिखा-पढ़ी करना हो, नै छै करना हिसाब।।
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नै छै लिखा-पढ़ी करना हो, नै छै करना हिसाब।
  
 
भाय-पढ़ै-लिखै में मत कर बहाना
 
भाय-पढ़ै-लिखै में मत कर बहाना
 
पढ़लोॅ-लिखलोॅ के ऐलै जमाना।
 
पढ़लोॅ-लिखलोॅ के ऐलै जमाना।
निरक्षरता के कलंक मिटैबै गे, बहिन मानेॅ हमरोॅ बात।।
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निरक्षरता के कलंक मिटैबै गे, बहिन मानेॅ हमरोॅ बात।
  
 
बहिन-बकरी चरैबै, गैया घुरैबै
 
बहिन-बकरी चरैबै, गैया घुरैबै
 
भौजी संग मिली-जुली खाना पकैबै।
 
भौजी संग मिली-जुली खाना पकैबै।
पढ़ी-लिखी सुनोॅ मोरे भैया हो, नै छै बनना खराब।।
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पढ़ी-लिखी सुनोॅ मोरे भैया हो, नै छै बनना खराब।
  
 
भाय- पढ़ै-लिखै के समस्या, गे बहिन भेलै आसान
 
भाय- पढ़ै-लिखै के समस्या, गे बहिन भेलै आसान
 
जन-जन में फैली गेलै गे, साक्षरता अभियान।
 
जन-जन में फैली गेलै गे, साक्षरता अभियान।
चलें-चलें-चलें बहिन इस्कूल गे, होतै नया विहान।।
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चलें-चलें-चलें बहिन इस्कूल गे, होतै नया विहान।
  
 
बहिन- भौजी कहै छोॅ मुन्ना खेलाय लेॅ
 
बहिन- भौजी कहै छोॅ मुन्ना खेलाय लेॅ
 
तोहें कहै छोॅ इस्कूल जाय लेॅ।
 
तोहें कहै छोॅ इस्कूल जाय लेॅ।
साँपोॅ-छुछुंदर के खेला हो, नै छै कलम-किताब।।
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साँपोॅ-छुछुंदर के खेला हो, नै छै कलम-किताब।
  
 
भाय- पढ़ना-लिखना छै जरूरी गे, बहिना सुनेॅ दिल के बात।
 
भाय- पढ़ना-लिखना छै जरूरी गे, बहिना सुनेॅ दिल के बात।
दहेजोॅ में लागै रूपैया गे, नै छै हमरा ओतना औकात।।
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दहेजोॅ में लागै रूपैया गे, नै छै हमरा ओतना औकात।
चलें-चलें-चलें बहिन इस्कूल गे, लैकेॅ कलम-किताब।।
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चलें-चलें-चलें बहिन इस्कूल गे, लैकेॅ कलम-किताब।
  
 
बहिन-बिना दहेजोॅ के शादी नै होथौं
 
बहिन-बिना दहेजोॅ के शादी नै होथौं
 
सासु-ननद मिली हमरा जलैथौं।
 
सासु-ननद मिली हमरा जलैथौं।
भैया तोरोॅ नामेॅ डुबैथौं हो, ई घिनौना समाज।।
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भैया तोरोॅ नामेॅ डुबैथौं हो, ई घिनौना समाज।
  
 
भाय-पढ़ी-लिखी केॅ मास्टरनी बनिहैं
 
भाय-पढ़ी-लिखी केॅ मास्टरनी बनिहैं
 
मुन्ना आरो मुन्नी केॅ आपन्हैं पढ़ैयैं।
 
मुन्ना आरो मुन्नी केॅ आपन्हैं पढ़ैयैं।
 
पिया केॅ लिखी-लिखी पतिया गे,
 
पिया केॅ लिखी-लिखी पतिया गे,
बहिन भेजिहैं जबाव।।
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बहिन भेजिहैं जबाव।
  
 
बहिन-पिया जी के भेजलोॅ पतिया हो,
 
बहिन-पिया जी के भेजलोॅ पतिया हो,
 
पढ़ाय - लिखाय में लाज।
 
पढ़ाय - लिखाय में लाज।
पढ़ै-लिखै लेॅ हम्हूँ सीखबै हो, इस्कूल जैबै आज।।
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पढ़ै-लिखै लेॅ हम्हूँ सीखबै हो, इस्कूल जैबै आज।
सुनोॅ-सुनोॅ-सुनोॅ हमरोॅ भैया हो, लैकेॅ कलम-किताब।।
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सुनोॅ-सुनोॅ-सुनोॅ हमरोॅ भैया हो, लैकेॅ कलम-किताब।
  
 
भाय- चलें-चलें-चलें बहिन इस्कूल गे, लैकेॅ कलम-किताब।
 
भाय- चलें-चलें-चलें बहिन इस्कूल गे, लैकेॅ कलम-किताब।
साक्षरता मिशन के नीति गे, पूरा करबै हम्में आज।।
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साक्षरता मिशन के नीति गे, पूरा करबै हम्में आज।
  
 
बहिन- सुनोॅ-सुनोॅ-सुनोॅ मोरे भैया हो, इस्कूल जैबै आज।
 
बहिन- सुनोॅ-सुनोॅ-सुनोॅ मोरे भैया हो, इस्कूल जैबै आज।
कीनी दिहोॅ काॅपी-कलम आरोॅ, कीनी दिहोॅ किताब।।
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कीनी दिहोॅ काॅपी-कलम आरोॅ, कीनी दिहोॅ किताब।
  
 
भाय- चलें-चलें-चलें बहिन इस्कूल गे, लैकेॅ कलम-किताब।
 
भाय- चलें-चलें-चलें बहिन इस्कूल गे, लैकेॅ कलम-किताब।
बहन- सुनोॅ-सुनोॅ-सुनोॅ हमरोॅ भैया हो, इस्कूल जैबै आज।।
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बहन- सुनोॅ-सुनोॅ-सुनोॅ हमरोॅ भैया हो, इस्कूल जैबै आज।
 
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23:28, 2 मई 2019 के समय का अवतरण

भाय- चलें-चलें-चलें बहिन इस्कूल गे, लैकेॅ कलम-किताब।
बहिन- सुनोॅ-सुनोॅ-सुनोॅ मोरे भैया हो, नै छै कलम-किताब।

भाय- रंग-बिरंग सिलैबो गे बहिन, तोरोॅ फराक।
कीनी देबोॅ काॅपी-कलम गे, कीनी देबौ किताब।

बहिन- की करबै पढ़ी-लिखी भैया हो, जरा दिहोॅ जबाव।
नै छै लिखा-पढ़ी करना हो, नै छै करना हिसाब।

भाय-पढ़ै-लिखै में मत कर बहाना
पढ़लोॅ-लिखलोॅ के ऐलै जमाना।
निरक्षरता के कलंक मिटैबै गे, बहिन मानेॅ हमरोॅ बात।

बहिन-बकरी चरैबै, गैया घुरैबै
भौजी संग मिली-जुली खाना पकैबै।
पढ़ी-लिखी सुनोॅ मोरे भैया हो, नै छै बनना खराब।

भाय- पढ़ै-लिखै के समस्या, गे बहिन भेलै आसान
जन-जन में फैली गेलै गे, साक्षरता अभियान।
चलें-चलें-चलें बहिन इस्कूल गे, होतै नया विहान।

बहिन- भौजी कहै छोॅ मुन्ना खेलाय लेॅ
तोहें कहै छोॅ इस्कूल जाय लेॅ।
साँपोॅ-छुछुंदर के खेला हो, नै छै कलम-किताब।

भाय- पढ़ना-लिखना छै जरूरी गे, बहिना सुनेॅ दिल के बात।
दहेजोॅ में लागै रूपैया गे, नै छै हमरा ओतना औकात।
चलें-चलें-चलें बहिन इस्कूल गे, लैकेॅ कलम-किताब।

बहिन-बिना दहेजोॅ के शादी नै होथौं
सासु-ननद मिली हमरा जलैथौं।
भैया तोरोॅ नामेॅ डुबैथौं हो, ई घिनौना समाज।

भाय-पढ़ी-लिखी केॅ मास्टरनी बनिहैं
मुन्ना आरो मुन्नी केॅ आपन्हैं पढ़ैयैं।
पिया केॅ लिखी-लिखी पतिया गे,
बहिन भेजिहैं जबाव।

बहिन-पिया जी के भेजलोॅ पतिया हो,
पढ़ाय - लिखाय में लाज।
पढ़ै-लिखै लेॅ हम्हूँ सीखबै हो, इस्कूल जैबै आज।
सुनोॅ-सुनोॅ-सुनोॅ हमरोॅ भैया हो, लैकेॅ कलम-किताब।

भाय- चलें-चलें-चलें बहिन इस्कूल गे, लैकेॅ कलम-किताब।
साक्षरता मिशन के नीति गे, पूरा करबै हम्में आज।

बहिन- सुनोॅ-सुनोॅ-सुनोॅ मोरे भैया हो, इस्कूल जैबै आज।
कीनी दिहोॅ काॅपी-कलम आरोॅ, कीनी दिहोॅ किताब।

भाय- चलें-चलें-चलें बहिन इस्कूल गे, लैकेॅ कलम-किताब।
बहन- सुनोॅ-सुनोॅ-सुनोॅ हमरोॅ भैया हो, इस्कूल जैबै आज।