भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सभ्भै के कल्याण / ब्रह्मदेव कुमार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रह्मदेव कुमार |अनुवादक= }} {{KKCatAngikaRac...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

16:42, 3 मई 2019 के समय का अवतरण

सर्व शिक्षा अभियान हो, शिक्षा अभियान
पढ़ाय-लिखाय करतै, सभ्भै के कल्याण।

जेहूँ नाहीं पढ़लेॅ छै, वहूँ-वहूँ पढ़तै
पाँच सालोॅ के सभ्भे बच्चा, स्कूल आबेॅ जैतै।
आबेॅ नाहीं रहतै, मुरखा समान॥

भाय-भाय पढ़तै, बहिन-बहिन पढ़तै
पढ़ी-लिखी बनतै, जिनगी सुख पैतै।
नाची-नाची छेड़तै, बाँसुरी के तान॥

तन सुखी होतै, मन भी सुखी होतै
पढ़ी-लिखी सब, जन-जन सुखी होतै।
जिनगी में ऐतै, हँसी-मुस्कान॥