भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ईर्ष्या / कविता कानन / रंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=कवि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 23: पंक्ति 23:
 
जला डालेगी
 
जला डालेगी
 
दूभर कर देगी जीवन।
 
दूभर कर देगी जीवन।
 
 
</poem>
 
</poem>

12:13, 5 मई 2019 के समय का अवतरण

जलन ही
स्वभाव है
इस ईर्ष्या का।
जला देती है उसे
जिस के प्रति
की जाये
और उसे भी
जिसके मन मे जन्म ले।
इसीलिये
दूरी बनाये रखिये
इस जनम जली
करम जली से
अन्यथा
तिल तिल कर
जला डालेगी
दूभर कर देगी जीवन।