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"ईर्ष्या / कविता कानन / रंजना वर्मा" के अवतरणों में अंतर
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जला डालेगी | जला डालेगी | ||
दूभर कर देगी जीवन। | दूभर कर देगी जीवन। | ||
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12:13, 5 मई 2019 के समय का अवतरण
जलन ही
स्वभाव है
इस ईर्ष्या का।
जला देती है उसे
जिस के प्रति
की जाये
और उसे भी
जिसके मन मे जन्म ले।
इसीलिये
दूरी बनाये रखिये
इस जनम जली
करम जली से
अन्यथा
तिल तिल कर
जला डालेगी
दूभर कर देगी जीवन।