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"जाने न कोई / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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बिछुड़े कैसे | बिछुड़े कैसे | ||
सिंधु से जलधारा | सिंधु से जलधारा | ||
प्यार अपार। | प्यार अपार। | ||
− | + | 112 | |
जाने न कोई | जाने न कोई | ||
कथाएँ जो लिखी थीं | कथाएँ जो लिखी थीं | ||
अश्रु -डुबोई। | अश्रु -डुबोई। | ||
− | + | 113 | |
'''गोद है भीगी | '''गोद है भीगी | ||
प्रलय बन बहे | प्रलय बन बहे | ||
आँसू बावरे।''' | आँसू बावरे।''' | ||
− | + | 114 | |
− | घिरा आग में | + | '''घिरा आग में |
− | व्याकुल हिरना सा | + | व्याकुल हिरना -सा |
− | खोजूँ तुमको। | + | खोजूँ तुमको।''' |
− | + | 115 | |
चारों तरफ | चारों तरफ | ||
है घनेरा जंगल | है घनेरा जंगल | ||
− | कहाँ हो | + | कहाँ हो तुम! |
− | + | 116 | |
प्यास बुझेगी | प्यास बुझेगी | ||
मरुथल में कैसे | मरुथल में कैसे | ||
− | साथ | + | साथ न तुम! |
− | + | 117 | |
अँजुरी भर | अँजुरी भर | ||
पिलादो प्रेमजल | पिलादो प्रेमजल | ||
− | प्राण कण्ठ | + | प्राण कण्ठ में! |
− | + | 118 | |
शब्दों से परे | शब्दों से परे | ||
सारे ही सम्बोधन | सारे ही सम्बोधन | ||
− | पुकारूँ कैसे! | + | पुकारूँ कैसे ! |
− | + | 119 | |
− | भूलूँ कैसे मैं | + | '''भूलूँ कैसे मैं |
तेरा वो सम्मोहन | तेरा वो सम्मोहन | ||
− | कसे बन्धन। | + | कसे बन्धन।''' |
− | + | 120 | |
तन माटी का | तन माटी का | ||
मन का क्या उपाय | मन का क्या उपाय | ||
मन में तुम। | मन में तुम। | ||
− | + | 121 | |
तरसे नैन | तरसे नैन | ||
अरसा हुआ देखे | अरसा हुआ देखे | ||
छिना है चैन। | छिना है चैन। | ||
+ | 122 | ||
+ | देह नश्वर | ||
+ | देही, प्रेम अमर | ||
+ | मिलेंगे दोनों। | ||
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22:40, 5 मई 2019 के समय का अवतरण
111
बिछुड़े कैसे
सिंधु से जलधारा
प्यार अपार।
112
जाने न कोई
कथाएँ जो लिखी थीं
अश्रु -डुबोई।
113
गोद है भीगी
प्रलय बन बहे
आँसू बावरे।
114
घिरा आग में
व्याकुल हिरना -सा
खोजूँ तुमको।
115
चारों तरफ
है घनेरा जंगल
कहाँ हो तुम!
116
प्यास बुझेगी
मरुथल में कैसे
साथ न तुम!
117
अँजुरी भर
पिलादो प्रेमजल
प्राण कण्ठ में!
118
शब्दों से परे
सारे ही सम्बोधन
पुकारूँ कैसे !
119
भूलूँ कैसे मैं
तेरा वो सम्मोहन
कसे बन्धन।
120
तन माटी का
मन का क्या उपाय
मन में तुम।
121
तरसे नैन
अरसा हुआ देखे
छिना है चैन।
122
देह नश्वर
देही, प्रेम अमर
मिलेंगे दोनों।
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