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"खड़े हैं लाखों / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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<poem> | <poem> | ||
− | + | 34 | |
कँटीली राहें | कँटीली राहें | ||
पथरीली चढ़ाई | पथरीली चढ़ाई | ||
हाथ थामना ! | हाथ थामना ! | ||
− | + | 35 | |
'''खड़े हैं लाखों''' | '''खड़े हैं लाखों''' | ||
रक्तपायी पथ में | रक्तपायी पथ में | ||
बचके चलो ! | बचके चलो ! | ||
− | + | 36 | |
शंकित दृष्टि | शंकित दृष्टि | ||
बींधती तन-मन | बींधती तन-मन | ||
दग्ध जीवन ! | दग्ध जीवन ! | ||
− | + | 37 | |
भाग्य का लेखा | भाग्य का लेखा | ||
भला करके भी तो | भला करके भी तो | ||
सुख न देखा ! | सुख न देखा ! | ||
− | + | 38 | |
तुम्हारी आँखें- | तुम्हारी आँखें- | ||
आँसू का समन्दर | आँसू का समन्दर | ||
पीना मैं चाहूँ। | पीना मैं चाहूँ। | ||
− | + | 39 | |
पोंछ लो आँखें | पोंछ लो आँखें | ||
सीने में छुप जाओ | सीने में छुप जाओ | ||
क्रूर हैं घेरे । | क्रूर हैं घेरे । | ||
− | + | 40 | |
यज्ञ रचाया | यज्ञ रचाया | ||
मन्त्र भी पढ़े सभी | मन्त्र भी पढ़े सभी | ||
शाप न छूटा। | शाप न छूटा। | ||
− | + | 41 | |
जलती रही | जलती रही | ||
समिधा बन नारी | समिधा बन नारी | ||
राख ही बची । | राख ही बची । | ||
− | + | 42 | |
छूटे तो छूटे | छूटे तो छूटे | ||
चाहे प्राण अपने ! | चाहे प्राण अपने ! | ||
हाथ न छूटे। | हाथ न छूटे। | ||
− | + | 43 | |
सिन्धु तरेंगें | सिन्धु तरेंगें | ||
विश्वास की है नैया | विश्वास की है नैया |
23:04, 5 मई 2019 के समय का अवतरण
34
कँटीली राहें
पथरीली चढ़ाई
हाथ थामना !
35
खड़े हैं लाखों
रक्तपायी पथ में
बचके चलो !
36
शंकित दृष्टि
बींधती तन-मन
दग्ध जीवन !
37
भाग्य का लेखा
भला करके भी तो
सुख न देखा !
38
तुम्हारी आँखें-
आँसू का समन्दर
पीना मैं चाहूँ।
39
पोंछ लो आँखें
सीने में छुप जाओ
क्रूर हैं घेरे ।
40
यज्ञ रचाया
मन्त्र भी पढ़े सभी
शाप न छूटा।
41
जलती रही
समिधा बन नारी
राख ही बची ।
42
छूटे तो छूटे
चाहे प्राण अपने !
हाथ न छूटे।
43
सिन्धु तरेंगें
विश्वास की है नैया
पार करेंगे।