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"खड़े हैं लाखों / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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कँटीली राहें
 
कँटीली राहें
 
पथरीली चढ़ाई
 
पथरीली चढ़ाई
 
हाथ  थामना !
 
हाथ  थामना !
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'''खड़े हैं लाखों'''  
 
'''खड़े हैं लाखों'''  
 
रक्तपायी  पथ  में
 
रक्तपायी  पथ  में
 
बचके चलो !
 
बचके चलो !
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शंकित  दृष्टि
 
शंकित  दृष्टि
 
बींधती तन-मन
 
बींधती तन-मन
 
दग्ध जीवन !
 
दग्ध जीवन !
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भाग्य का लेखा  
 
भाग्य का लेखा  
 
भला करके भी तो  
 
भला करके भी तो  
 
सुख न देखा !
 
सुख न देखा !
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तुम्हारी आँखें-
 
तुम्हारी आँखें-
 
आँसू का समन्दर  
 
आँसू का समन्दर  
 
पीना मैं चाहूँ।
 
पीना मैं चाहूँ।
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पोंछ लो आँखें
 
पोंछ लो आँखें
 
सीने में छुप जाओ
 
सीने में छुप जाओ
 
क्रूर हैं घेरे ।
 
क्रूर हैं घेरे ।
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यज्ञ रचाया
 
यज्ञ रचाया
 
मन्त्र भी पढ़े सभी
 
मन्त्र भी पढ़े सभी
 
शाप न छूटा।
 
शाप न छूटा।
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जलती रही
 
जलती रही
 
समिधा बन नारी  
 
समिधा बन नारी  
 
राख ही बची ।
 
राख ही बची ।
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छूटे तो छूटे  
 
छूटे तो छूटे  
 
चाहे प्राण अपने !
 
चाहे प्राण अपने !
 
हाथ न छूटे।
 
हाथ न छूटे।
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सिन्धु तरेंगें
 
सिन्धु तरेंगें
 
विश्वास की है नैया
 
विश्वास की है नैया

23:04, 5 मई 2019 के समय का अवतरण


34
कँटीली राहें
पथरीली चढ़ाई
हाथ थामना !
35
खड़े हैं लाखों
रक्तपायी पथ में
बचके चलो !
36
शंकित दृष्टि
बींधती तन-मन
दग्ध जीवन !
37
भाग्य का लेखा
भला करके भी तो
सुख न देखा !
38
तुम्हारी आँखें-
आँसू का समन्दर
पीना मैं चाहूँ।
39
पोंछ लो आँखें
सीने में छुप जाओ
क्रूर हैं घेरे ।
40
यज्ञ रचाया
मन्त्र भी पढ़े सभी
शाप न छूटा।
41
जलती रही
समिधा बन नारी
राख ही बची ।
42
छूटे तो छूटे
चाहे प्राण अपने !
हाथ न छूटे।
43
सिन्धु तरेंगें
विश्वास की है नैया
पार करेंगे।